फिल्म कराची में रची-बसी हैं. हीरो अली हसन ९/११ के तीन दिन बाद अमेरिका में नौकरी करने निकलता हैं पर हमले से डरे अमेरिका में आतंकवादी समझकर वापस भेज दिया जाता हैं. कहां तो वो अमेरिका के न्यूज़ चैनल में काम करने चला था,पर कराची के डंका टीवी का रिपोर्टर बनकर रह जाता हैं. डंका टीवी के एडीटर -कम - मालिक उसे किसी लायक नहीं मानते.रह रहकर अमेरिका जाने का उसका सपना जाग जाता हैं.एजेंट उसे अमेरिका भेजने के बदले १० लाख रुपये मांगता हैं.इस बीच, डंका टीवी में भी उसकी नौकरी पर बन आती हैं. उसे मुर्गो की बांग के नेशनल कॉम्पिटिशन कवर करने एडीटर ये कहकर भेजता हैं कि अबकी बार स्टोरी ठीक से नहीं की तो नौकरी गई समझो. स्टोरी जिस तरह शूट होती हैं उसमे उसकी नौकरी जाना तय लगता हैं. तभी एडिट टेबल पर उसकी नज़र विजेता मुर्गे के मालिक नूर पाशा पर पड़ती हैं. हजार मुर्गियों का मालिक ओसामा का हमशक्ल हैं. अली नूर को फंसाकर उसका टेप बनाता हैं और ओसामा की अमेरिका को चेतावनी का टेप अपने ही चैनल के मालिक को १० लाख में बेच देता हैं. टेप भारत के चैनल से होते अमेरिका पहुंचता हैं. नकली टेप ऐसी आग लगाता हैं कि अमेरिका बिना सोचे समझे अफगानिस्तान पर हमला बोल देता हैं.
हीरो के पास अमेरिका जाने के लिए १० लाख तो हैं पर जंग के हालात में एजेंट अपना कारोबार समेट लेता हैं. अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंट पाकिस्तान पहुंच कर अपनी मुहिम शुरू करते हैं. अमेरिका किस तरह अंधेरे में तीर चलता हैं उसकी खूब चुटकी ली गई हैं. अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तानी अधिकारी से कहता हैं कि टेप में ओसामा के पीछे जो नक्शा हैं वो उर्दू में हैं यानी ओसामा पाकिस्तान में ही हैं. पाकिस्तानी अधिकारी पूछता हैं कि फिर आप अफगानिस्तान में मिसाइल क्यों दाग रहे हैं तो अमरीकी अधिकारी कहता हैं कि एक बिलियन डॉलर के बजट उसे पाकिस्तान में बैठकर कॉफ़ी पीने के लिए नहीं दिया गया हैं.
खैर, इस भागमभाग में अमेरिकी और पाक एजेंट अली हसन और नकली ओसामा तक पहुंच जाते हैं और असलियत का पता चलने पर सिर पकड़ लेते हैं कि कैसे एक रिपोर्टर ने पूरी दुनिया और खासकर अमेरिका को बेवकूफ बना दिया. इस झूठ पर पर्दा डालने के लिए एक और झूठ बोला जाता हैं. अली नकली ओसामा का इंटरव्यू करता हैं, जिसे अमेरिका असली बनाकर पेश करता हैं. इस इंटरव्यू में ओसामा सीज फायर का ऑफर देता हैं. व्हाइट हाउस इसे ताबड़तोड़ मान लेता हैं और दुनिया में अमन कायम हो जाता हैं.माफ़ कीजिएगा पर फिल्म पर लिखते लिखते में कहानी बताने को मोह टाल नहीं पाया. फिल्म का मजा कहानी से ज्यादा उन सिचुएशन में हैं जो हर मोड पर आपको हंसाती हैं.
चलते चलते ये बात कि हम न्यूज़ चैनल इस सीजन के फ्लेवर मालूम पड़ते हैं क्योंकि अगले ही महीने पिपली लाइव आ रही हैं. रण आ कर पीट चुकी हैं.लव, सेक्स और धोखा चल चुकी हैं. तेरे बिन लादेन चल पड़ी हैं और पिपली लाइव भी शायद चल ही जायेगी. चलने वाली फिल्म में एक ही बात समान हैं,नए एक्टर, छोटा बजट और अच्छी कहानी को कहने का नया तरीका. बोलिवुड के बड़े स्टार्स के लिए जो सबक हैं वहीं न्यूज़ चैनल के लिए भी सबक हैं.
1 टिप्पणी:
अब तो ये फिल्म देखनी ही पड़ेगी
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