रविवार, 26 जून 2011

तब महंगाई पर आंदोलन करने वाली थी सोनिया जी,अब...?



आम आदमी की रोजमर्रा जरूरत की चीजों के दाम आसमान को छु रहे हैं. पेट्रोल, डीजल,रसोई गैस और किरासिन के दाम लगातार बढाये जा रहे हैंआम आदमी की जिदंगी महंगाई और भ्रष्टाचार ने बहुत मुश्किल कर दी हैं.ये बहुत बड़ा चेलेंज हैं. हमें केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करना पड़ेगा
                                              -कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

       (  अक्टूबर 2000 को छिंदवाडा के कांग्रेस भवन का उद्घाटन समारोह में भाषण)


सोनिया गांधी का ये बयान आज उनकी यूपीए सरकार पर सटीक बैठता हैं, लेकिन उन्होंने ये बयान ठीक 11 साल पहले  बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के लिए दिया था. 11 साल में कुछ भी नहीं बदला, बदला हैं तो सिर्फ पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और किरासिन का भाव.

फिर 2004 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक चार्जशीट पेश की थी, उसमें लिखा था –


 “ एनडीए इकोनोमी के बारे में बड़े-बड़े दावे करता हैं,फिर भी देश की बड़ी आबादी रोज भूखी सोती हैं. दाम अभूतपूर्व स्तर को छु रहे हैं. 1994 में एक लीटर डीजल 7 रुपये 80 पैसे में मिलता था और 2004 में 20 रुपये 53 पैसे में ,पेट्रोल 11 रुपये 75 पैसे में एक लीटर मिलता था और 2004 में 33 रुपये 70 पैसे का. 1994 से 2004 तक रसोई गैस के दाम दोगुना हो गए हैं”.


 चार्जशीट में आगे लिखा था कि “इंडिया सिर्फ एनडीए के लिए शाइन कर रहा हैं 21वीं सदी कांग्रेस पार्टी की हैं. देश की जनता ईमानदार और काम करने वाली सरकार चाहती हैं. कांग्रेस देश को ऐसी सरकार देगी”.


तो साहब, देश में सात साल से कांग्रेस की ‘ईमानदार और काम करने वाली सरकार’ हैं. इस सरकार के राज में डीजल 20 रुपये से बढ़कर 41 रुपये कुछ पैसे हो गया हैं और पेट्रोल 33 रुपये से बढ़कर 69 रुपये कुछ पैसे हो गया हैं. ये दिल्ली के रेट हैं, बाकी देश में और महंगा हैं. दाम लगभग दो गुना हो गए हैं. सरकार की दलील हैं कि 2004 में कच्चे तेल का दाम प्रति बैरल 36 डॉलर था, वो अब 110 डॉलर के आसपास हैं यानी लगभग तीन गुना. फिर भी देश में दाम दो गुना ही बढ़े और ये दाम बढाकर भी सरकार घाटे हैं.



सवाल ये हैं कि क्या ये गणित सोनिया गांधी या कांग्रेस पार्टी को चुनाव से पहले नहीं पता था? बिलकुल पता होगा, ना सिर्फ कांग्रेस को बल्कि बीजेपी को भी, पर वोट पाने के लिए महंगाई का रोना रोने में क्या बुराई हैं. बीजेपी भी अब उसी तरह से रो रही हैं जैसे कांग्रेस पार्टी रोया करती थी विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज का बयान वैसा ही हैं जैसे सोनिया गांधी ने ११ साल पहले दिया था. सुषमा स्वराज ने ट्विट्टर पर लिखा हैं – “ पेट्रोलियम पदार्थों के दाम दसवीं बार बढ़ाये गए हैं, कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ का नारा देकर ये सरकार बनीं और आम आदमी को क्या मिला.आम आदमी की मुश्किलों के प्रति ये सरकार संवेदनशील नहीं हैं” 


अब कांग्रेस का बयान देख लीजिए, पार्टी महासचिव जनार्दन दिवेदी ने कहा- “ कई बार सरकार को कड़े फैसले लेने पड़ते हैं,डीजल की कीमत बढ़ने से हर किसी को मुश्किल होगी,पर आप सारे तथ्य देखेंगे तो समझ जाएंगे कि दाम बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं था”. ये बयान तब के पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के करीब 12 साल पुराने बयान से मिलता जुलता हैं, उन्होंने एनडीए की सरकार 1999 में फिर बनने पर कहा था-“ हमें कड़े कदम उठाने पड़ेंगे. डीजल के बढ़े दाम वापस नहीं हो सकते. इससे आम आदमी पर बोझ पड़ेगा, लेकिन कोई चारा नहीं था”.

कांग्रेस और बीजेपी के पुराने बयान खोजने में काफी मेहनत करना पड़ी, सिर्फ ये साबित करने के लिए की सरकार किसी की भी हो कम से कम पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें काबू करने का प्लान किसी पार्टी के पास नहीं हैं. फिर भी इस पर पॉलिटिक्स उसी तरह से होती हैं, जैसे पिछली बार हुई थी.  हर पार्टी जब सरकार में होती हैं तब उसे याद रहता हैं कि देश की जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल बाहर से आता हैं और उसकी कीमत सरकार घटा-बढ़ा नहीं सकती. जब दुनिया के बाजार में दाम बढ़ेंगे तब देश में भी बढ़ेंगे. सरकार से हटते ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ये बात भूल जाते हैं.