शनिवार, 21 अगस्त 2010

करोड़पति बहुमत में हैं!

सांसदों की सेलरी को लेकर हर किसी की राय हैं, मुझे भी लगा कि इस तर्क में काफी दम हैं कि सांसदों की सेलरी सरकारी बाबू से एक रुपया ज्यादा यानी ८०,००१ रुपये होना चाहिए. आखिर ज्यादातर सांसद बड़ी मुश्किल से अपना खर्चा निकाल पाते होंगे. लेकिन कौन अमीर और कौन गरीब का हिसाब खोजा तो ये आंकड़ा सामने आया.

१५वीं लोकसभा में ३१४ करोड़पति सांसद हैं

११६ सांसदों की संपति १० से ५०लाख के बीच हैं

सिर्फ १५ सांसदों की संपति १० लाख से कम हैं

नेशनल इलेक्शन वाच का ये आंकड़ा साबित करता हैं कि करोड़पति सांसद लोकसभा में बहुमत में हैं. बहुमत के लिए २७२ सांसदों की जरूरत होती हैं, इस लोकसभा में तो ३१४ करोड़पति हैं. इन सांसदों का बहुमत कहिए या कुछ और, नतीजा ये रहा कि सांसद को अब तक हर महीने ६० हजार रुपये मिलते थे , आगे से एक लाख 30 हजार रुपये मिलेंगे.अब जरा ये देख ले कि जिन लोगों ने इन सांसदों को चुनकर भेजा हैं उनका क्या हाल हैं?

२००९-१० में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आमदनी ३३ हजार ५८८ रुपये होने का अनुमान हैं

देश अब प्रति सांसद हर साल २१ लाख( द टेलीग्राफ) से ३७ लाख( टाइम्स ऑफ इंडिया) रुपये खर्च करेगा

यानी सांसद की आमदनी आम आदमी की आमदनी के कम से कम ६२ गुना ज्यादा हैं.

अगर आप भूले ना हो तो लोकसभा में महंगाई पर बहस हुई तो सरकार ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने पड़े. विपक्ष ने कहा कि टैक्स यानी सरकारी आमदनी को कम कर दिया जाये. पेट्रोल डीजल बनाने का जितना खर्च आता हैं सरकार उतना ही टैक्स लगा देती हैं. सरकार ने टैक्स कम नहीं किया क्योंकि घाटा बढ़ रहा हैं.पर घाटे में चल रही सरकार सांसदों पर मेहरबान हो गयी अब हर साल उन पर १७२ करोड रुपये खर्च होगा. तो क्या ये कहा जाए कि बूंद-बूंद ही सही थोड़ा सा पेट्रोल डीजल माननीय पी गए?


शनिवार, 7 अगस्त 2010

हाजी मस्तान ने कहा था-' मैंने कभी तस्करी नहीं की'

'Once Upon a time Mumbaai' पिछले हफ्ते देखी तो हाजी मस्तान से मुलाकात याद ताजा हो गया. हाजी मस्तान से मैं ठीक १९ साल पहले मुंबई में मिला था, तब दिल्ली से पढ़ाई खत्म करके मुंबई पहुंचे मुश्किल से दो महीने हुए थे. मस्तान तब अंडरवर्ल्ड से ' रिटायर' हो चुका था. ये इंटरव्यू इंदौर से निकलने वाले साप्ताहिक ' प्रभात किरण' में जुलाई १९९१ में छपा था. इंटरव्यू के अंश-
हाजी मस्तान मिर्ज़ा, अध्यक्ष,ऑल इंडिया दलित मुस्लिम अल्पसंख्यक महासंघ, ४१०, आर्केडिया बिल्डिंग, सर जे जे रोड, जे जे अस्पताल के सामने, बम्बई- ४००००८. हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में छपा हाजी मस्तान का विजिटिंग कार्ड उनका कुल यही परिचय देता हैं. वार्डेन रोड पर सोफिया कॉलेज लेन में उनकी दुमंजिला कोठी हैं ' वर्ते-उल-सुरूर' यानी शांति निवास. पिछले शुक्रवार की शाम साढ़े पांच बजे का वक़्त दिया गया था, पहुंचने पर पता चला कि ' बाबा साहेब' (उन्हें इसी नाम से जाना जाता हैं) दोपहर को जुम्मे की नमाज के बाद सोकर नहीं उठे हैं. स्वागत कक्ष में मस्तान की तीन अलग -अलग तस्वीरें लगी थी. पहली तस्वीर जवानी की थी, कोट- टाई पहने. दूसरी तस्वीर में अधेड मस्तान का पोट्रेट था और तीसरी में दुनिया देख चुके ' बाबा साहेब' का.
करीब साढ़े छह बजे बुलावा आया. हाजी मस्तान पहली मंजिल पर अपने छोटे से कमरे में हल्के आसमानी रंग का सफारी सूट पहनकर बैठा था. सामने टेलिविजन पर ' सनम बेवफा' फिल्म चल रही थी. बताया गया कि केबल टीवी हैं. खैर बाबा साहेब ने रिमोट कंट्रोल से टीवी कि आवाज बंद कर दी और इधर बातचीत शुरू हो गई

आपने दलित मुसिलम अल्पसंख्यक सुरक्षा महासंघ क्यों बनाया?

मुसलमान और दलितों को एकजुट करने के लिए, देश में इनकी आबादी करीब चालीस फीसदी हैं, मगर ये बहुत पिछड़े हैं. पढ़ाई- लिखाई नहीं हुई, सरकारी नौकरी नहीं मिली. पुलिस और फिरकापरस्त इन पर अलग जुल्म करते हैं. एक होकर ही ये लोग हक पा सकेंगे. मौलाना आजाद और किदवई साहब के बाद कोई नेता नहीं हुआ. डा. आम्बेडकर के बाद दलितों के लिए किसी ने नहीं सोचा.

वी पी सिंह और कांशीराम भी तो आपकी पार्टी जैसा काम कर रहे हैं?
दोनों जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. इनका मकसद वोट बैंक हैं, दलित और मुसलमानों की भलाई नहीं. आपको याद दिला दूं मैंने १९८५ में महासंघ बनाया था. बाद में इन दोनों ने सोचा

मगर १९८८ के इलाहाबाद उप चुनाव में तो आपने वी पी सिंह के लिए काम किया था?
मुझे उम्मीद थी कि यह आदमी अच्छा काम करेगा,पर इसने किसी की उम्मीद नहीं पूरी की.

आपने १९८४ में दक्षिण बम्बई से लोकसभा के लिए पर्चा दाखिल किया था, फिर वापस क्यों ले लिया?
मुझे लगा कि मैं चुनाव जीत नहीं सकूंगा, बल्कि मेरी उम्मीदवारी से फिरकापरस्तों की जीत होगी. इसी वजह से मेरी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही हैं. पहले हम जमीन पुख्ता कर रहे हैं

तो क्या आप भविष्य में चुनाव लड़ेंगे?
सोचेंगे ( सिगरेट जलाते हुए उन्होंने रुककर जवाब दिया)

आप पर तस्करी करने के आरोप लगे हैं?
मैंने कभी तस्करी नहीं की. मुझे झूठे मामलों में फंसाया गया.आपतकाल में पकड़कर घर की तलाशी ली गई मगर कुछ हाथ नहीं लगा. अदालत ने मुझे हर इल्जाम सेबाइज्जत बरी कर दिया हैं

पर जय प्रकाश नारायण के सामने तो आपने आइन्दा तस्करी तस्करी नहीं करने की कसम खायी थी. यह वादा भी किया था कि तस्करी करने वालों को रोकेंगे.
जय प्रकाशजी के सामने मैंने मुल्क के खिलाफ कोई काम नहीं करने की कसम खायी थी.रही बात तस्करों को रोकने की तो मुझे नहीं मालूम कि तस्कर कौन हैं?

फिर आपका पेशा क्या हैं?
शुरू से बिजनेस करता हूं, कपड़े की दुकानें हैं

पेशे के लिए वक्त निकाल लेते हैं?
अब नहीं, मैं समाज सेवा को ज्यादा वक्त देता हूं.दुकानें मेरे आदमी देखते हैं

इंटरव्यू में आगे हाजी ने दो बातें और कही थी. अयोध्या में मंदिर- मस्जिद दोनों बने. दोनों पक्ष न माने तो अदालत का फैसला माने. दूसरी बात ये कि भारत -पाकिस्तान को एक हो जाना चाहिए. याद रहे ये इंटरव्यू अयोध्या में विवादस्पद ढांचा गिराने से करीब डेढ़ साल पहले हुआ था. इंदौर के बारे में कुछ बातें कही थी जो शायद आज प्रासंगिक नहीं रही.
फिल्म देखने के बाद ये इंटरव्यू आज दोबारा पढ़ा तो लगा कि हाजी मस्तान इज्जत पाने की राह पर काफी आगे बढ़ चुका था. फिल्म में उसकी मौत तभी हो गई जब वो नेता बनने के लिए पहली बार मंच पर आता हैं, लेकिन असल जिंदगी में वो जेपी के सामने कसम खा चुका था, वीपी सिंह का चुनाव प्रचार कर चुका था, खुद चुनाव का पर्चा भरकर वापस ले चुका था और सबसे बड़ी बात की किसी अदालत में उस पर कोई गुनाह साबित नहीं हो पाया.