ये मेसेज मैंने प्रीतिश नंदी और वीर संघवी को कल ट्विट्टर से भेजे थे, ब्लॉग लिखने से पहले २४ घंटे तक जवाब का इंतजार किया.जवाब नहीं आया. मैंने सिर्फ इतना कहा था की पद्म पुरस्कारों से गंद हटाने की मुहिम अच्छी हैं, पर हम पत्रकारों को प्रण करना चाहिए की पद्म पुरस्कार नहीं लेंगे.पिछले १० साल में NDA और UPA ने अपने चहेते पत्रकारों को पद्म पुरस्कार के 'लायक' समझा तब हम चुप थे.हमारी
बिरादरी ने उसी सरकार से इनाम लिया जिस पर नज़र रखना हमारा काम हैं और अब कहते हैं की चटवाल पद्मभूषण के लायक' नहीं हैं.
चटवाल का किस्सा आपको पता ही होगा. संत सिंह चटवाल अमेरिका में रहने वाले भारतीय व्यापारी हैं.होटल और रेस्तरां की चैन चलते हैं. उनका नाम व्यापार के कारण नहीं बल्कि बड़े बड़े लोगो के साथ उठाने बैठने से हैं.बड़े लोगो की लिस्ट अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से शुरू होती हैं,जिनकी पत्नी हिलेरी अब अमेरिका की विदेश मंत्री हैं.तो भारत और अमेरिका के रिश्तो के बीच 'पद्मभूषण कड़ी' हैं चटवाल.नाम तो खैर इस वजह से और बदनामी हैं ४२० के केस से.सीबीआई ने १९९२ में चटवाल पर बैंक ऑफ़ इंडिया और बैंक ऑफ़ बड़ोदा को करीब २८ करोड़ रुपये का चूना लगाने का केस किया था. वैसे चटवाल के पद्मभूषण होने पर हल्ला मचने के बाद सरकार ने सफाई दी की चटवाल इन मामलों से बरी हो गए हैं. बरी कैसे हो गए इसकी कहानी आज इंडियन एक्सप्रेस में छापी हैं.
चटवाल लायक हैं या नालायक? इस बहस में मैं नहीं पड़ना चाहता. हम सबको पता हैं कि पद्म पुरस्कार कैसे मिलते हैं?बड़े- बड़े पत्रकार मुहिम में शामिल हो रहे हैं कि इस गंद को साफ़ करना चाहिए,पर ये कैसा ढोंग कि मेरी पद्मश्री तुम्हारी पद्मश्री से सफ़ेद हैं? ठीक हैं कि किसी पत्रकार पर चटवाल कि तरह ४२० का केस नहीं लगा पर ये सबको पता हैं कि कोई पत्रकार NDA के राज में पद्मश्री के लायक क्यों था और कोई UPA के राज में लायक कैसे हो गया? पद्मश्री पाने वाले पत्रकारों कि लिस्ट पर नज़र ड़ाल लीजिये और इस साल कि पूरी लिस्ट पर. वीरेन्द्र सहवाग को इस साल पद्मश्री मिला. सचिन तेदुलकर के कोच रमाकांत अचरेकर को भी इस साल पद्मश्री के लायक समझा गया. इन से पहले कई पत्रकारों को पद्मश्री मिल चूका हैं. सरकार कि नज़र में पत्रकारों ने देश का भला सहवाग और अचरेकर से पहले कर दिया. काम की तुलना छोड़ भी दे तो कम से कम इतना तो समझ ले की सम्मान की आड़ में सरकार हमे रिश्वत देती हैं और हम गदगद होकर स्वीकार कर लेते हैं. वैसे २४ घंटे होने को आये न तो प्रीतिश नंदी ने कोई जवाब दिया न ही वीर संघवी ने, आपको क्या लगता हैं कोई जवाब मिलेगा
5 टिप्पणियां:
swagat hai!
welcome sir
Anek shubhkamnayen!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
no u will not get reply because there is no reply
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